प्यार कच्ची उम्र का।
प्यार कच्ची उम्र का।
प्यार कर बैठी थी मैं था प्यार कच्ची उम्र का।
दिलों में अब भी बसा है प्यार कच्ची उम्र का।
नासमझ थी मैं मगर वह तो समझता था इसे।
उम्र भर उसने निभाया वो प्यार कच्ची उम्र का।
झरने किनारे बैठ उसने प्यार का वादा किया था।
तन से नहीं मन से निभाया प्यार कच्ची उम्र का।
ना वो बोला ना मैं बोली बस हाथ हाथों में रहे।
आंखों आंखों में हुआ था वो प्यार कच्ची उम्र का।
तन और मन के मिलन को प्यार कहते हैं सभी।
मन से मन तक ही रहा वो प्यार कच्ची उम्र का।
कई दशक बीते मगर अब भी रोशन दो दिलों में।
रब की मूरत सा बसा है वो प्यार कच्ची उम्र का।

