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Pinki Khandelwal

Tragedy Others

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Pinki Khandelwal

Tragedy Others

बालविवाह एक कुरीति।

बालविवाह एक कुरीति।

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बचपन में देखी मैंने गुड्डे और गुड़िया की शादी,

पर आंखों देख सच कैसे करूं बयां,

जब देखो होते छोटे बच्चों की शादी,

कहते उनसे बस यह छोटा सा खेल है,

और बहला लेते उनको कर देते उनकी शादी है,


बच्ची नादान है क्या समझती फेरों के महत्व को,

क्या समझती वो सिंदूर और मंगलसूत्र का मोल,

बस समझ एक खेल वो बंध जाती रिश्तों के घेरे में,

कैसे कोई मातापिता कर सकता अपने बच्चों के साथ में,


खेलने कूदने की उम्र में कैसी जंजीरों से बांध दिया,

पैंसिल जिन हाथों की शोभा है वहां चिमटा थमा दिया,

गुड्डे और गुड़िया की शादी के खेल को सच बना दिया,

प्यार स्नेह की मिलनी थी छत्रछाया वहां बोझ ढोना सिखा दिया,


रिश्तों के धागे अभी बुनना सीखा नहीं उन्होंने,

 और किन रिश्तों के धागे में उनको बांध दिया,

 सीखना था उनको कैसे रखते परिवार का ध्यान अभी,

 और परिवार को बढ़ाने की जिम्मेदार भी थमा दी,


वो नाजुक सी जान क्या देगी बच्चों में संस्कार,

खुद जिनसे वो अनजान हैं,

कैसे करेगी बच्चों का लालन पोषण,

जो खुद इतनी कमजोर और नादान है,


उम्र 21 की होने दो सीखने दो उनको सब,

फिर बांधो रिश्तों के बंधन में,

यह कोई उम्र नहीं बच्चों की,

क्यों करते तुम घोर अपराध हो।



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