STORYMIRROR

Omprakash Singh Omprakash Singh

Tragedy

3  

Omprakash Singh Omprakash Singh

Tragedy

र्दद

र्दद

1 min
178

मां कहां है तू मेरे पास आ

अपनी गोद में सुला

थक गई हूं

अकेली हूँ मां पास तो आ

छोटी सी थी तब मुझे चलना सिखाया

रास्ते में अकेली हूँ मां

साथ आ जा

नहीं रहना इन चार दिवारो के बीच 

उड़ना है मां दूर ले जा 

तान , पैसा, झुकना सब देख लिया

अब बस न

झुकना सिखा दिया अब हंसना सिखा

कहां है मां पास तो आ

सबने छोड़ दिया अब तू आ

टुकड़ा है तू मेरे दिल की 

इसे समेटे रख न

गोद में तेरे सुकून हाथो में तेरे जन्नत

फिर क्यों जाये कहीं और

तू आ न

मां कहां है तू मेरे पास आ न

ये दुनिया बड़ी अजीब है

पहले पास बुलाती है फिर दाग लगाती है

अब नहीं रहना अकेले तू आ न

अपने गोद में सुला!


         


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy