र्दद
र्दद
मां कहां है तू मेरे पास आ
अपनी गोद में सुला
थक गई हूं
अकेली हूँ मां पास तो आ
छोटी सी थी तब मुझे चलना सिखाया
रास्ते में अकेली हूँ मां
साथ आ जा
नहीं रहना इन चार दिवारो के बीच
उड़ना है मां दूर ले जा
तान , पैसा, झुकना सब देख लिया
अब बस न
झुकना सिखा दिया अब हंसना सिखा
कहां है मां पास तो आ
सबने छोड़ दिया अब तू आ
टुकड़ा है तू मेरे दिल की
इसे समेटे रख न
गोद में तेरे सुकून हाथो में तेरे जन्नत
फिर क्यों जाये कहीं और
तू आ न
मां कहां है तू मेरे पास आ न
ये दुनिया बड़ी अजीब है
पहले पास बुलाती है फिर दाग लगाती है
अब नहीं रहना अकेले तू आ न
अपने गोद में सुला!
