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Omprakash Singh Omprakash Singh

Abstract

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Omprakash Singh Omprakash Singh

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छुपा लिया

छुपा लिया

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अपने आंसू रोक कर

मैंने खुद को सम्हाल लिया 

ख्वाहिशों को छुपा कर

मैं खुश हूँ ये दिखा दिया

सबकी ख़ुशी को देख कर

खुद को समझा लिया

सपनों को पूरा करने के लिए

खुद को बदल लिया

मेरी एक खुशी लोगों ने छीन ली 

फिर लोगों की नियत को समझ कर

खुुद को रोक लिया 

सबसे नियत को देख कर 

पैसा ही कीमत इंसान कुुछ नहीं

ये देख लिया 

चलते- चलते रास्ते मेंं रो पड़ी 

ये ज़िन्दगी तू कितनी अजीब है

ये समझ लिया

फिर सोच लिया , जब मंजिल मिलेगी

ऐ जिन्दगी 

जितना गम सही हूँ लोगों को

लफ़्ज़ों में बयां करुंगी। 


        


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