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Pradeep Pokhriyal

Tragedy Inspirational

3  

Pradeep Pokhriyal

Tragedy Inspirational

मेरी आवाज

मेरी आवाज

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एक महल की चाहत,

एक कोलाहल की प्यास।

बनती रही, छुपती रही,

मेरी झिझकती आवाज़ ।।


स्वप्न में बना राजा

सर झुकाया मंत्रियों ने।

पौ फटते ही लौटी फिर,

मेरी झिझकती आवाज़।।


पिघलते नारों का शोर,

झुकते उठाते झंडों की आस।

टोपियों के बीच सहमी,

मेरी झिझकती आवाज़ ।।


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