क्या बात होती
क्या बात होती
तेरे माथे पर भले ही बिंदिया चमक रही है
तू भी इस तरह चमक जाती तो क्या बात होती
सर पर जो तेरे ये दुपट्टा लहरा रहा है
अपना परचम भी इस तरह लहराती तो क्या बात होती,
दो कुलों और दो परिवारों को जोड़ रही है तू वर्षों से
अपने बिखरे सपनों को भी जोड़ पाती तो क्या बात होती
माना आँखों में आंसुओं का सागर है गहरा
पर इस सागर से निकल पाती तो क्या बात होती,
बच्चों के लिए है तूने हर खुशियां मांगी
कुछ अपने लिए भी मांग लेती तो क्या बात होती
रोते हुए बचपन को जो तूने खिलखिलाना सिखाया
आंसू अपने पोंछ कर खुद खिलखिलाती तो क्या बात होती,
माना कि समाज में हावी हो रही है पुरुषवादी सोच
इस सोच के खिलाफ आवाज उठाती तो क्या बात होती
गम के बोझ तले दबी दिख रही है तेरी जिंदगी
इस गम उबरकर जीना सीख लेती तो क्या बात होती,
दुर्गा, काली, रानी लक्ष्मीबाई रूप है वीरांगनाओं का
तू भी कभी इन रूपों को दिखाती तो क्या बात होती
सर पर जो तेरे ये दुपट्टा लहरा रहा है
इस तरह अपना परचम लहराती तो क्या बात होती,
अन्याय, अत्याचार के खिलाफ लड़ना सिखाया है तूने
खुद के शोषण के खिलाफ लड़ पाती तो क्या बात होती
भले ही स्वतंत्र जीवन अधिकार है हम सब का
तू भी सामाजिक बंधन से स्वतंत्र होती तो क्या बात होती,
गिरना, उठना और निरंतर चलना नियत है जीवन का
तू भी हर बुराई से लड़कर जीत पाती तो क्या बात होती
सभ्य संस्कार और अच्छे लालन-पालन का सूत्रधार है तू
लोगों की सोच में भी अच्छे संस्कार आते तो क्या बात होती.
