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Phool Singh

Tragedy

4  

Phool Singh

Tragedy

अंजान

अंजान

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समझ ना आता अब तक कैसे 

तुम स्वार्थी लोगों के साथ रहे  

परछाई भी साथ छोडती 

बुरा वक़्त जब संग चले।।

 

इच्छा के संग अरमान टूटते 

ना खुद पर ही विश्वास करें  

नाकामियाँ है हाथ लगती 

जब बिन तैयारी के आगे बढ़ें ।।


हर घड़ी वो लज्जित करते 

जिससे मेलजोल ज्यादा करें 

ना लफ़्ज़ों की अहमियत होती 

वो भाव भी ना कद्र करे।।


हर घटना में शामिल होते  

ना मान-मर्यादा का ध्यान करें  

कानाफूसी करते हरदम 

ना किसी के सगे हुए ।।


तारीफ में क़सीदे पढ़ते हर क्षण 

जब भी तुमसे काम पड़े 

भेद तुम्हारे सबकों बताते 

पीठ के पीछे मज़ाक करें।।


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