एक सैनिक की शहादत
एक सैनिक की शहादत
बेटे की शहादत की खबर जब कोई लाया होगा
माता–पिता की आंखों में कितना दुःख समाया होगा
आंखों में आंसुओं के बूंद भी आते –आते हारे होंगे
जब मेहँदी से सजे उन हाथों ने मंगल सूत्र उतारे होंगे,
हम तो अपने–अपने घरों में चैन से सोए होंगे
पर ना जानें वो उस पल कितना रोए होंगे
सियासत तो ठंडे कमरे में राजनीति चमकाती रही
कलेजे के टुकड़े को छलनी देख वो कितना आंसू बहाती रही
चूड़ियों की खनक को जब उसने हाथों से उतारी होगी
एक सैनिक की पत्नी होने पर भी वह आंसुओं से हारी होगी
अपने लाड़ले के शरीर के टुकड़ों को वो कैसे भूलेंगे
एक –दूसरे को संभालते हुए न जाने वो कितना
रोएंगे
न फोन की घंटियों न चिट्ठियों का अब कोई इंतजार रहेगा
एक पति, बेटा और सहारा खोकर वो परिवार कैसे जीएगा
सीने में गोली खाकर मातृभूमि का हर फर्ज निभाया उसने
बूढ़े मां – बाप और पत्नी को खुशियों का वचन दिया था जिसने,
ये दहशत ये मंजर ये खौफ आखिर कब तक चलती रहेगी
न जाने कितनों कि सांसे कितनों के सुहाग यूं ही उजड़ती रहेगी
बेटे की शहादत की खबर जब कोई लाया होगा
माता –पिता की आंखों में कितना दुःख समाया होगा।