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Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy

जीवन का हकीक़त

जीवन का हकीक़त

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किराये का घर है, जिसे दुनिया कहते हैं।

एक दिन खाली करना ही पड़ेगा !

फर्क बस इस इतना है कि कोई पहले जाएगा ,

कोई बाद में ,बारी की सबको इंतजार है!

छूट जाएंगे ये रिश्ते -नाते और झूठी शान -शौकत !

धरी की धरी रह जाएगी ये कार और बंगले !

खाली हाथ आये थे खाली हाथ ही जाना है!

माया की नगरी में ये सब जीने का बहाना है।

न कोई अपना यहाँ ,न कोई पराया ,

मतलबी रिश्ते हैं ये सब अपने काम के लिए है बनाया !

न कोई साथी यहाँ ,न कोई साथ निभानेवाला कोई !

बिलखते रह जाओगे साथ कोई नहीं जानेवाला !

लूट मची है ,तर्क है कि अपनों के लिए कर रहे हैं !

अपने के लिए दिन- रात मर रहे हैं !

क्या पता! कि यही अपने शरीर से

प्राण के पंछी उड़ जाने के बाद 

पंजर को छूने के बाद खुद को पवित्र करेंगे !

तेरे अपने ही तुझे छूने से कतराएंगे !

जिस रिश्तेदार से गाढ़ी रिश्तेदारी थी

वो अपना औपचारिकता निभाकर

औचक ही निकल जाएंगे !

किराये का घर है यह मकान ,जिसे दुनिया कहते हैं !

एक - एक नये किरायेदार आने पर कमरा खाली करना पड़ेगा !

एक दिन सबको किराये का घर खाली करना पड़ेगा !


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