जिस्मों का बाजार
जिस्मों का बाजार
वह तंग गलियां और सब एक से मकान
यह जहां में आ पहुंचा था इस जगह की एक अलग ही थी पहचान
कुछ अजीब सा था उस जगह की हवाओं में कुछ अजीब सा व्यापार
था मैं जहां आ पहुंचा था यह जिस्मों का बाजार था......
एक अलग सा नजारा मुझे यहां देखने को मिला था
कोई खुशी से था यहां तो किसी को यहां होने से गिला था
अरे ओ चिकने अरे ओ बाबू जी जरा आओ हमारे पास भी
हर तरफ से बस आती ऐसी ही आवाज थी
मुझ जैसे इंसान की सोच से भी बाहर यहां का कारोबार था
मैं जहां आ पहुंचा था जिस्मों का बाजार था....
यहां इंसानों की नीलामी होते हैं मैंने अपनी आंखों से देखी थी
एक भाई ने नन्ही सी बच्ची 6000 में बेची थी
किसी सब्जी मंडी की तरह यहां शोर मच रहा था
आजा भाई तुझे भी ले चलता हूं किसी ने धीरे से कान में कहा था
हवस के भूखे लोगों का यहां मचा हाहाकार था
मैं यहां पहुंचा था यह जिस्मों का बाजार था.....
भीड़ भाड़ से जल्दी भागने में मैं जाकर एक औरत से टकराया था
माफ कर दीजिए मुझे मैंने उसे बहन कह कर बुलाया था
वह बोली खून के आंसू यहां की हर औरत हर रोज रोती है
एक वैश्या ना किसी की बेटी और ना किसी की बहन होती है
अश्रु रोक ना पाया उसके मैं कितना लाचार था
मैं यहां आ पहुंचा था यह जिस्मों का बाजार था.....
भाई बोल मुझे वह आंखें भर आई थी
क्या हुआ था उसके साथ उसने सारी कहानी सुनाई थी
छोटी सी थी जब मुझे यहां एक दरिंदा लाया था
जिसके हाथों मेरा बाप मुझे 500 में बेच आया था
शराबी बाप को बेटी से ज्यादा शराब से प्यार था
मैं जहां पहुंचा था यह जिस्मों का बाजार था....
यहां जिस्मों की बोली लगती है और जिस्मों से प्यास बुझाई जाती है
एक बार जो लड़की यहां आ जाए ना बाबू वह कोठेवाली ही कहलाती है
किसी की कोई मजबूरी होती है तो किसी को यहां जबरदस्ती छोड़ जाता है
आप ही बताओ जरा एक वैश्या को कौन अपनी बहन बनाता है
बहन कहकर नवाजा मुझे मुझसे ये उपकार था
मैं जहां पहुंचा था यह जिस्मों का बाजार था....
