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Mahesh Dube

Inspirational Tragedy

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Mahesh Dube

Inspirational Tragedy

अंतिम शैया से कुंवर नारायण

अंतिम शैया से कुंवर नारायण

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सारा जीवन मैं

तुम्हारे लिए जिया 

सांसे मेरी थी, पर विचार तुम्हारे 

शब्द मेरे थे, पर भाव तुम्हारे

बहुत बार विचारों का अंधड़

मेरे बदन के दर्द पर भारी पड़ा 

पर अपने भूख से ऐंठते पेट

पर कपड़ा बांधकर मैंने कविता बुनी

केवल इस लिए कि तुम

विचारों से नंगे न हो जाओ

लेकिन अफसोस ! 

तुम नंगे के नंगे ही रहे 

मेरा मरना जायज है । 


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