STORYMIRROR

हिंदी ग़ज़ल

हिंदी ग़ज़ल

1 min
14.1K


मुझे तुमने निकाला है तो आँखों में नमी सी क्यों,

सजा है घर सलीके से तो मन में इक कमी सी क्यों।

 

तुम्हारे होंठ हँसते हैं मगर उनमें तड़प सी है,

तुम्हारे मन के कोने में बसी है एक ग़मी सी क्यों।

 

नहीं लहराया है तुमने कोई रुमाल हलके से,

मैं मुड़कर देखता हूँ कि हवा है ये थमी सी क्यों।

 

मुझे मालूम है तुमने खुरच डाली हैं कुछ यादें,

मगर आईने के कोनों में है काई जमी सी क्यों।

 

तुम्हें नफरत अगर हमसे है तो इतना बताओ तो,

जिसे भी देखते हो शक्ल लगती है हमीं सी क्यों।

 

                      

 


Rate this content
Log in