मिलन
मिलन
अब के जब देखूँगी तुम्हें
रोक ना सकूँगी मन के भाव
आँखों से अनायास ही
लुढ़क जाएँगे
प्रेम के मोती !
तुम विचलित ना होना
उन्हें देख कर
कि वही करेंगे सिंचित
हृदय की बंजर धरती,
वही तथ्य करेंगे
देखे-अनदेखे स्वप्न,
और वही करेंगे निर्वापित
विरह की अग्नि !
और बूँद बूँद मेह से
खिल जाएगी फुलवारी,
तृप्त हो जाएगी आत्मा,
गगन में फिर से मुस्कुराएगा
पूर्णिमा का चाँद !