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Shailly Shukla

Others Romance

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Shailly Shukla

Others Romance

सुना तुमने?

सुना तुमने?

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हाँ तुमने सब सुना,

सब जो मैने कहा,

तर्क-वितर्क, मतभेद,

उलाहना, संताप,

दुर्भाग्य, क्रोध।


सब जो मेरे होठों,

से निकला और

पहुँचा तुम्हारे,

कर्णों तक।


परंतु क्या तुमने वो भी सुना

जो मैने नही कहा ?

स्वीकृति, समंजन,

अभिनंदन, आनंद,

सौभाग्य, अनुराग,

वात्सल्य, समर्पण,

प्रतिबद्धता, और प्रेम ?


और क्या तुमने

पढ़ी मेरी चुप्पी,

जो प्रेषित की थी मैने

अपने हृदय से,

तुम्हारे हृदय तक।


जिस में लिखा था,

कि प्रेम के अथाह सागर में

परिवेदना, असहमति,

मात्र तरंगे भर हैं।


और क्या तुमने देखे वो अश्रु,

जिसकी एक बूँद से,

खारा हो गया था,

तुम्हारी चाय का प्याला।


और चुस्की लेते ही बोल पड़ा था,

कि मेरी शिकायतें,

तुम पर मेरे अधिकार,

का प्रदर्शन भर हैं।


और क्या तुमने समझे थे

मन के वो भाव,

जो तुम्हारी मेरी ओर फेरी पीठ से

कह रहे थे बार बार।


कि कभी कभी

अनकहे को भी सुनना

अच्छा होता है !


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