क्या गलती मैंने की ,तुम पर विश्वास किया।
क्या गलती मैंने की ,तुम पर विश्वास किया।
क्या गलती मैंने की ,तुम पर विश्वास किया।
इस विश्वास घात भरी दुनिया मे,मैंने तुमको अपना समझा,
तुमने मुझे दुनिया समझा, जो तुमने ये आघात किया,
तुमने ऐसा दर्द दिया,ये कैसा ये आघात किया।
क्या गलती मैने की तुम पर विश्वास किया,
तुम गलती करते रहे,धोखे को मज़बूरी का नाम दिया ।
मदत तुम्हारी मैंने की,बदले मे विश्वासघात किया।।
मैंने तुमको अपना समझा,क्यों मुझको ये आघात किया।
क्या गलती मैंने कि तुम पर विश्वास किया,
लो मैंने अपने गलती मानी,और अनुभव का इसे नाम दिया।
तुमने अच्छा दर्द दिए,क्या अच्छा ये उपहास किया.
क्या गलती की मैंने कि तुम पर विश्वास किया।