कोई आया नहीं
कोई आया नहीं
हारते हारते थक गया कोई बचाने तो आया नहीं
गिर रहा था मैं उठाने तो कोई आया नहीं
मैं नासमझ था समझाने तो कोई आया नहीं
इस अपनों के की दुनिया में कोई
अपना बनाने तो आया नहीं
हारते हारते थक गया कोई बचाने तो आया नहीं
गिर रहा था मैं उठाने तो कोई आया नहीं
मैं नासमझ था समझाने तो कोई आया नहीं
इस अपनों के की दुनिया में कोई
अपना बनाने तो आया नहीं