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इश्क कल और आज

इश्क कल और आज

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दिल सेे होकर गया

जिस्म तक फिर गया,

दौर कैसा था कल

इश्क जब हो गया।


ऐसी है हालत अब

दिल किसी ने दिया,

जिस्म पहले मिला

दिल से दिल ना मिला ।


रूह प्यासी रही

अक्ल ने सब किया,

किसको अच्छा कहे

क्या बुरा हो गया ।


आईना सच का मेरा

कोई ले गया,

झूठ ऐसे कहा

सच ग़लत हो गया ।


आदमी की जरूरत

बदलने लगा,

कौन अपना है मेरा

दगा दिलने दिया ।


अब कयामत की हसरत

मेरी बढ़ गई,

जिसको अपना कहा

दिल दुखा कर गया।


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