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तेरी यादें

तेरी यादें

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शाम हुई है

हाथों में फोन है


हमेशा की तरह

तुम्हारा ही नम्बर स्क्रीन पर


असमंजस में हूँ

कैसे होगी तुम से बातें


बातें जो बहाने से अक्सर

लम्बी हो जाया करती थीं


उस शाम भी हुई थी

बातें ढेर सारी


जो है अब बस

तुम्हारी याद आखिरी


अब यादों का क्या कहना

कल की ही बात ले लो


जब बनाने चली थीं

फिर से मैं खीर

चावल और दूध का हिसाब भूलकर

आदतन दिल ने तुमको याद किया


सोचा

लगाऊँ फोन

फिर इसी बहाने से


सुनूँ तुम्हारी वो हँसी

और मीठे ताने


फिर हर बार की तरह

तेरा कहना मुझसे

कब तक पूछकर

काम चलाओगे


तेरी मेरी हँसी से गूँजते

वो यान्त्रिक तारें


अनगिनत बातें

ऐसी रह गई हैं

अब बस एक याद भर


यादें, जो बना रही है

एक रिश्ता नया


पर तुझसे रिश्ता बेहतर था

तुझसे रिश्ता बेहतर था माँ


तूने हमेशा रोते हुए

मुझे हँसाया है लेकिन


तेरी यादें हँसते हुए

मुझे रुला जाती हैं।।


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