लोग
लोग
कुछ लोग जो बस जीते हैं
दूसरों को कोसने के लिए।
नहीं जान पाते सम्बन्धों की मर्यादा
छलनी कर देते हैं विश्वास की चादर।
ध्वस्त कर लेते हैं स्वयं का संसार
विक्षिप्त मानसिकता के ये लोग
कहाँ जान पाते हैं व्यावहारिकता।
वो क्या है कि किताबी ज्ञान
नहीं होता है काफी
इन क्षुद्र मानसिकता वाले लोगों के लिए।
भर रखा होता है स्वयं में घृणा और द्वेष बस
और फैला लेते हैं अपने आस-पास दुर्गंध
जिसमें दम तोड़ देते हैं उनके अपने।
विध्वंसक होते हैं ऐसे लोग
घर -परिवार और समाज के लिए
त्याग करना चाहिए ऐसे लोगों का
सामाजिक व्यवस्थाओं के
संरक्षण हेतु...।।
