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V. Aaradhyaa

Drama Tragedy

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V. Aaradhyaa

Drama Tragedy

सर्वत्र हो रहा घोटाला है

सर्वत्र हो रहा घोटाला है

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यूँ आज के दौर में सर्वत्र हो रहा घोटाला है

झूठ छुप जाता है, ये सच तो बस निराला है !


अब तो सत्य एक चुपचाप खड़ा हो गया है

रिश्ता बस आज जैसे कागजी सा हो गया है !


निः स्वार्थ प्रेम की बात को ज़रा परे रखिए

सबके साथ सद्भावना का भाव ज़रूर रखिए !


लोगों से जितना मतलब हो उतना ही बोलिए

और काम निकल जाते ही खुद से दूर फेंकिए !


सबसे फरेबी मुस्कान के साथ बोली बोलिए

ईमानदारी की दुकान का ताला मत खोलिए !


जेब में नुकीला कोई एक खंजर ज़रूर रखिए

और जुबां से भरसक बेहद सबसे मीठा बोलिए !


वैसे हर रिश्ते की एक तयशुदा कीमत होती है

तो रिश्ते के बाजार में ढंग से मोलभाव कीजिए !


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