बस एक पल
बस एक पल
बस एक पल में
टूट जाते हैं रिश्ते
छूट जाते हैं अपने
बिखर जाते हैं जज्बात।
बेमौत मर जाते हैं आप
न चाहते हुए भी
समेट लेते हैं खुद को
छुपा लेते हैं सारे भाव।
दूर हो जाते हैं वो
जो कल तक थे खास
फिर तन्हाई में,
याद करते हैं।
वो सारे लम्हें
जिस एक पल में
कोई अनजाना सा
होने लगा था अपना।
समझने लगा था आपको
छू लिया था मन को
जीने लगे थे आप उसमें
और वो जी रहा था, आप में।
सोचती हूँ कभी
बैठ कर अकेले में
कितना बदल जाता है
हर रिश्ता एक पल में।
बिना ढूंढे कोई सम्भावना
जो देखे बस रिश्तों की भावना
तो न पनपे आपस में
कभी-कोई दुर्भावना।।