स्नेहबंध
स्नेहबंध
बारिश की बूंदें कर रहीं हैं अटखेलियाँ
छिड़ी हुई है सुरमयी संगीत की धारा
मानो पूरी सृष्टि महक उठी है विशेष सुगंधी से
बारिश की बूंदें लाती हैं जीवनधारा में एक नवीनता
और
साथ ही खोल देती हैं यादों से संजोया पिटारा
पहली बारिश की खुशबू और
प्रकृति को उन्मादित करती उसकी बेपरवाह बूंदे
आज फिर ले आयी हैं तुम्हारी याद
जिनमें है तुम्हारे प्रेम की सौंधी सी खुशबू
बूंदों की अटखेलियाँ मानो सुना रहीं हैं हमारे स्नेह की भूमिका
वो क्या है ना अथाह स्नेह को व्यापकस्वरूप देने के लिए
आवश्यक है एक संगीतमय भूमिका
ये मिश्रित रंगों से सजा आकाश बना रहा है एक पृष्ठभूमि
जिसपर सजाने को बैठी हूँ मैं,हमारे प्रेम की पातियाँ
शहरी शीशमहल के गवाक्षों पर अंकित हो रहा तुम्हारा मेरा प्रेम
ये भींगा मौसम क्या जोड़ पाएगा एक नव अध्याय (?)
मैं और तुम क्या लिख पाएंगे कोई नया स्नेहबंध (?)।