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Shweta Jha

Drama

1.9  

Shweta Jha

Drama

प्रेम

प्रेम

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प्रेम एक अलौकिक एहसास है

सहज और निर्विकार है

मौन होकर भी हृदयगत संवाद है

जीवन का विशेष अध्याय है।


प्रेम सृष्टि का आधार है

सतत निर्झर, निर्मल प्रवाह है

ईश्वरीय कृति है

आग्रह नहीं, ये वृति है।


प्रेम एक साधना है

सात्विक और उन्मुक्त है

अनात्म से आत्मा को जोड़ता

मानवीय संवेदना है।


प्रेम सम्पूर्ण और समग्र है

सृष्टि के हर कण में है

सागर सा गम्भीर है

बालमन सा चंचल है।


प्रेम मीरा और कृष्ण है

निश्छल मन का भाव है

एक माँ का उद्गार है

एक पत्नी का श्रृंगार है।


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