प्रकृति की अवहेलना हितकारी नहीं
प्रकृति की अवहेलना हितकारी नहीं
ईश्वर द्वारा रचित प्रकृति है, अप्रतिम अद्भुत संरचना।
जीवन के पोषण हेतु हितकारी नहीं इसकी अवहेलना।
यदि क्रोधित हो जाये तो, प्रकृति का प्रकोप है भयंकर।
प्रकृति के तत्व लायें प्रलय, हमारा जीवन कर दें दुष्कर।
मृदा के अनावश्यक दोहन से भूमि को क्रोध आता है।
भूकंप द्वारा भूमि का क्रोध सबको प्रकट हो जाता है।
जल जीवन के लिये होता है अत्यंत ही महत्वपूर्ण ढाल।
जब जल क्रोधित हो तो कहीं बाढ़ आये कहीं अकाल।
वायु भी तो बहे मदमस्त होकर, जब मौसम सुहाना हो।
तीव्र वेग से बहे और विनाश लाये, यदि क्रोध आना हो।
अग्नि का पावन रूप हवन व भोजन में काम आता है।
प्रदूषित वातावरण की ऊष्मा से सब भस्म हो जाता है।