हम सब एक है
हम सब एक है
कौन बड़ा कौन छोटा यहाँ
समरसता को हृदय धरो
भेदभाव की तोड़ बेड़ियाँ, प्रेम-मैत्री से मिलकर आगे बढ़ो ।।
खूबसूरत ये दुनिया कितनी
जीवन में ज़िंदादिली के रंग भरो
सुख-दुख तो आने जाने, विचलित हो न धैर्य अपने हृदय धरो।।
मानव जीवन न मिले दोबारा
न किसी बात का गम करो
जो तुम्हारा मिल के रहेगा, नियत न लेने दूसरों की चीज कभी करो।।
कम न होते गीले-शिकवे
सुन अधरों पर मुस्कान धरो
लेना-देना तो चलता रहता, निभाते कर्तव्य को अपने सदा चलो।।
कोई न जाता अपने साथ में
धर्म-कर्म कुछ करते चलो
जीवन है रोग-दोष भी होंगे, समर्पण सब ईश्वर को सदा करते चलो।।