इरादे कर बुलंद तू
इरादे कर बुलंद तू
इरादे कर बुलंद अब रहना शुरू करती तो अच्छा था।
तू सहना छोड़कर कहना शुरू करती तो अच्छा था।
नारी तू कमज़ोर नहीं, यह तुझ को समझना तो होगा।
तू कोमल ज़रूर है, लेकिन हिम्मत से लड़ना तो होगा।
तू यह जान ले कि तू है मां दुर्गा और शक्ति का स्वरूप।
वहीं तुझमें है मां लक्ष्मी और मां सरस्वती का भी रूप।
तूने कभी सीता बनकर कष्टों को झेलना भी सिखाया।
तूने द्रौपदी भी बनकर कायरों को सही रास्ता दिखाया।
तू ने कभी राधा बन मित्र की सच्ची परिभाषा दिखाई।
तूने कभी रुक्मणि बन जीवन संगिनी की प्रीत सिखाई।
तू सौंदर्य की प्रतिमा रंभा, उर्वशी, मेनका बन हुई खड़ी।
तू साहस की मूर्ति रानी लक्ष्मीबाई बन शत्रुओं से लड़ी।
तू कभी गायिका बन कर सबके कानों में भी खनकी।
तू कभी नायिका बन कर सबकी आँखों में भी चमकी।
तू किसी की बेटी, पत्नी, मां और बहन बनकर ही रही।
तूने अपने अस्तित्व की बात कभी न सोची न ही कही।
अब तुझे उठना होगा और खुद के लिए लड़ना होगा।
एक सपने को देख कर उसके पीछे भी पड़ना होगा।