ये भूलों का शहर हैं यहाँ हर बात भुलाई जाती हैं। हो कोई भी 'निर्भया' यहाँ बस मोमबत्ती बुझने... ये भूलों का शहर हैं यहाँ हर बात भुलाई जाती हैं। हो कोई भी 'निर्भया' यहाँ ...
सोच लेना इस बार फिर प्रश्न करना क्योंकि सीख लिया है मैने भी अब नश्तरों पर नश्तर लगान... सोच लेना इस बार फिर प्रश्न करना क्योंकि सीख लिया है मैने भी अब न...
क्योंकि माँ अपना अस्तित्व खोकर भी सदा मुस्कुराये ! क्योंकि माँ अपना अस्तित्व खोकर भी सदा मुस्कुराये !
फिर भी मुस्कराते हो हर सम्भव-असम्भव क्षण पर। फिर भी मुस्कराते हो हर सम्भव-असम्भव क्षण पर।
बोल उठेगी एक मूरत जैसे अचानक। बोल उठेगी एक मूरत जैसे अचानक।
चुप थी में, आम आदमी की तरह लोह पुरुष की वाणी में खोई हुई। चुप थी में, आम आदमी की तरह लोह पुरुष की वाणी में खोई हुई।