ज्ञान के अक्षय भंडार को मैं समेट न पाता हूँ फिर अपने को इन किताबों में पाता हूँ खुद अक्षर बन जात... ज्ञान के अक्षय भंडार को मैं समेट न पाता हूँ फिर अपने को इन किताबों में पाता ह...
एकीकरण का कार्य कठिन था, रियासतों में देश बंटा था। एकीकरण का कार्य कठिन था, रियासतों में देश बंटा था।
चुप थी में, आम आदमी की तरह लोह पुरुष की वाणी में खोई हुई। चुप थी में, आम आदमी की तरह लोह पुरुष की वाणी में खोई हुई।
31 अक्टूबर को जन्मे, लौह पुरुष कहलाये। 31 अक्टूबर को जन्मे, लौह पुरुष कहलाये।