नशे की लत
नशे की लत
मनुष्य को जब नशे की लत है लग जाती।
उसकी अक्ल में कोई बात नहीं है आती।
नशे में सबसे पहले उसका विवेक है छिनता।
मनुष्य को नशे में चैन और सुकून नहीं मिलता।
मनुष्य की नशे की लत में बुद्धि हो जाती है भ्रष्ट।
मनुष्य स्वयं को और दूसरों को पहुंचाता है कष्ट।
नशे की लत में छोटे बड़े का भेद नहीं है दिखता।
मनुष्य नशे की लत में केवल चिल्लाता चीखता।
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होती है नशे की लत।
इसके परिणाम होते अवसाद, निराशा, ग़फलत।
नशे की लत में मनुष्य को लग जाते कई दुर्व्यसन।
छोड़े नहीं छूटते फिर चाहे जितने भी करो जतन।
मनुष्य नशे की लत की खुमारी से स्वयं को जलाए।
शांत मन से वह अच्छा बुरा सोचे तो ही आराम पाए।