आजा कान्हा तेरी याद आए
आजा कान्हा तेरी याद आए


कान्हा तेरी याद में छलक पड़े
मेरे नैनार्णव आ के धीर बंधा जा,
ओ कान्हा ना तड़पा अब तो आ के छवि दिखाई जा
निरख- निरख छवि मन हर्षित हो जाए ये
आजा कान्हा अब तो काहे देर लगाए रे।
कैसी विपदा आई है , क्यूं छाई ग़म की परछाई है
तड़प रही देवकी तुझे सीने से लगाने को
तरसे बाबा भी तो कांधे पे तुझको बैठाने को
एक बार तो मथुरा में आ मुझको ढांढस बंधाने को
तारों की छांव में लेकर बाहों में आ झूला झुलाऊं तुझे
गा के मीठी-मीठी लोरी सुलाऊं तुझे
चंदा मामा की कहानियां सुनाऊं तुझे
करेगा जब जब तुम अटखेलियां
वारी वारी जाऊंगी मैं
करूंगी श्रृंगार तेरा काला टीका भी लगाऊंगी मैं
एक पल भी ना हो आंखों से ओझल
इस तरह पलकों में छुपाऊं तुझे
आ तेरा कर्ज है मुझ पर ये दूध की धाराएं तुझे बुलाती हैं।
माना जाना तेरी मजबूरी थी
मैंने भी तो अपने से तुझे दूर करके की सबूरी थी
अब और ना सब्र हो पाएगा
तेरी जुदाई का ग़म मार जाएगा
वो तेरी किलकारी
नन्हे-नन्हे पांवों में बजती पेंजनियां प्यारी
बाट जोह रही मातृत्व का सुख पाने को
तेरी देवकी मैया प्यारी।