फ़रेबी मोहब्बत का वास्ता*
फ़रेबी मोहब्बत का वास्ता*
हर रोज यहां
नफ़रत कि आग में जलते जा रहें हैं लोग
चेहरे पे चेहरा लगा कर घूम रहें हैं लोग
फ़रेबी मोहब्बत का वास्ता देकर,
प्यार से हथेली चूम रहें हैं लोग
समझ नहीं आता कि कैसे थे,
अब कैसे हो गये हैं लोग
चल रहें हैं रास्तों में आँखें खुली हैं,
पर सो रहें हैं लोग
मुस्कान होठों पर दिखावटी लिए रो रहें हैं लोग
किससे कहे,क्या कहे,कौन हैं अपना
बस अपना होने का नाटक किये जा रहें हैं लोग
हर रोज यहां
नफ़रत कि आग में जलते जा रहें हैं लोग।