सफर
सफर
इस जीवन में दुख के जब बादल हैं घिर आते
पल लम्हा-लम्हा गुजरते भारी-से हैं लगते जाते
पर जीवन में खुशियों की जब बारी है आती
पलक झपकाते सवारी इसकी निकल जाती
खुशियों के पल इतने छोटे-छोटे लगते क्यूं
मुश्किलों में ही गहरे जख्म हरे लगते क्यूं
जीवन सफर है दुख- सुख का बड़ा झमेला
पाने खोने का क्रम ही है सफर-ए-जीवन मेला