कब तक टकरायेंगे
कब तक टकरायेंगे
दीवारों से आप कब तक टकरायेंगे ।
लहू-ए-जिगर से लथपथ हो जायेगें।।
खिलते नहीं शुष्क चट्टानों पर फूल कभी।
तो कैसे दीवारों में रास्ते बन जायेंगे।।
ताली दोनों हाथों की ताकत से है बजती ।
आप एक हाथ से ताली कैसे बजायेंगे ।।
सुना है !आग का दरिया जो पार कर जायेंगे।
वही हर हाल में मंजिल-ए- जीत को पायेंगें ।।
सोच कर यही अब आगे कदम बढ़ते जायेंगे।
धैर्य,संयम, बुद्धि से ही जीवन नैय्या खै पायेंगे।।