वर्तमान साहित्य
वर्तमान साहित्य
कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण होता है।
पर साहित्य में पूरा सच् कहां लिखा होता है।।
बस् दूसरे के सच् का बखान विस्तृत होता है।
खुद पर लिखा सच् थोड़ा काल्पनिक होता है।।
हर अल्फाज़ किसी रसूखदार का गुलाम-सा होता है।
जिसमें किसी समूह का नियमित प्रचार-सा होता है।।
खट्टी मीठी बातों ! संग सच्ची अभिव्यक्ति का मोहताज होता है।
वर्तमान साहित्य महज समस्याओं का अम्बार-सा होता है।।
दिल को लगने वाले भावों का अभाव-सा होता है।
घुमा फिरा कर पूर्व वर्णित भावों का भंडार होता है।।