पहचान
पहचान
अपनी धरती,अपना गांव।
देती हरदम् सुख की छांव।।
अपना काम,अपना मान।
गर्व के होते हैं महा धाम्।।
अपनी खोली, अपनी बोली।
भर देती है, रिश्तों से झोली।।
अपनी सही शिक्षा,सही ज्ञान ।
हौसलों को देती ऊंची उड़ान।।
अपना धर्म,और अपने सुकर्म।
देते सुख,सबके करते दूर मर्म।
मक्कारी से चाहे ठग लो सारे जग को।
पड़ेगा भोगना यहीं कर्मफल सबको।।
मीठी बोली,और मीठी मुस्कान
देती है आपको विशेष पहचान।।