अच्छा इंसान बनना है
अच्छा इंसान बनना है
किसी की जीवनी पढ़ने की क्या ज़रूरत है मुझे?
दुनियादारी की बारीकियां समझने के लिए।
मैं इंसानों के साथ रहता हूं,
उनकी हर बात सुनता हूं,
उनका हर दुःख-दर्द समझता हूं।
क्या इतना नहीं काफ़ी, अच्छा इंसान बनने के लिए?
क्या भूतकाल में जाना ही होगा,
वर्तमान को बेहतर बनाने के लिए?
मानव-जीवन के हर पहलू को मैं देखता हूं रोज ही,
एक गंवार भी समझता है अच्छे से,
महापुरुषों ने जो-जो बात कही।
उन लोगों ने जो भी महान कार्य किए,
क्या वो सब अजूबे थे, सब के सब नए थे?
उनके बताए जाने से पहले भी लोगों में,
अच्छे-बुरे की समझ थी,
जरूरत थी तो बस अपना समझकर,
लो
गों का दुःख-दर्द बांटने की।
मेरा और उनका हिसाब एक ही तो है शायद,
भलाई करना ध्येय था उनका, मेरा भी है शायद,
मुझे दिख जाता है हर एक जरूरतमंद आसानी से, कोई शोध नहीं करना पड़ता,
हर कहानी मिलती-जुलती है पिछली कहानी से।
हर पाठ जीवन का पढ़ा है हमने,
याद हो गई आसानी से, ईमानदारी की कद्र हर जगह,
अच्छी यह बेईमानी से, बीज जैसा बोया जाएगा,
फल भी वैसा आएगा, सब सामान्य बातें हैं,
हर कोई समझ जाएगा।
आदर्श आप बनाइए, लक्ष्य अपना पाइए,
निर्भर न रहिए किसी पर, अपने कदम बढ़ाइए।
अक्सर हम साध्य को छोड़ साधन पर टिक जाते हैं,
संग्रह करने की होड़ में, समस्त को किनारे लगाते हैं।