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डॉ. प्रदीप कुमार

Tragedy

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डॉ. प्रदीप कुमार

Tragedy

खुद को मैं बदल लूंगा

खुद को मैं बदल लूंगा

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छोड़कर उसको अभी,

मैं अपने रास्ते चल दूंगा,

जैसे वो बदल गया है,

मैं अपना रास्ता बदल लूंगा,

दिल ने उसे हर बार अपना कहा,

पर अब वो अपना नहीं रहा,

लोग हाथ धो लेते हैं अक्सर

अपनी पसंदीदा चीज़ से,

मैं अपना पसंदीदा शख़्स छोड़कर,

अपना हाथ मल लूंगा।

खुश रहूंगा मैं हर हाल में,

पेशानी पर न बल दूंगा,

अपने होश-ओ-हवास में मैं,

खुद को पूरा बदल लूंगा।

उसकी जुदाई की आग में,

मैं फुरसत से जल लूंगा,

उफ्फ तक न निकलेगी मुंह से,

इतना कठोर खुद को कर लूंगा।


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