कही तनहा दिल..
कही तनहा दिल..
कहीं तन्हा नहीं दिल
दिल कहीं होश कहीं
यादों मैं है मुलकात की बातें सही
जिस्म कही जान कहीं
मेह्कता वो दिल का सैलाब बस यही
ना राहते ना इनायते अभी
जिने की नहीं कोई वजह सी इनमे
ना जाने किस एहसास की खलिश है युही
और वो कहते हैं, आँखें नम है भी तो बस यूँ ही
कही तनहा नहीं दिल फिर भी
सांसों मैं यह खलील सी है
बस यूँ ही तो नहींं।