मिलन अधूरा-सा
मिलन अधूरा-सा
मेरा तन मन लिपटा हुआ तेरी यादों से
फिर भी तुमसे मिलन अधूरा सा ।
जाने कितना वक्त बीत गया हमें मिले बिछड़े
सोचती भी नहीं तुझे सोचना
फिर भी रोम रोम में तू है बसा ।
होगा खाली खुद से खुद में ही तू
यहां तो जलती है रूह भी पल पल
वह जुड़ना, मिलना, बिछड़ना,
फिर एक अंबार लगा है यादों सा।
धड़कनों का यूँ तेज धड़कना
जिस्म की आग में रुह का जलना
मिलने की तड़प में बदन का पिघलना
दिल की बे-करारियों का बढ़ना
काली नागिन सी इस रात का पहरा होना
डराता है दिल को हर पल
कहीं आगोश में छुपा लो ना ।।