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संतोष ताकर "खाखी"

Abstract Action

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संतोष ताकर "खाखी"

Abstract Action

तू खुद का उद्धार कर

तू खुद का उद्धार कर

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ऐ नारी ! तू श्यामा गौरीणी...

बनकर भव से तारिणी,

दुर्गा है तू, देवी का रूप तू।

मन से कोमल हैं

प्रचंड बन, लेकर त्रिशूल हाथ में

जो आसुरी प्रवृति से लिप्त हो, 

उसके लिए तू काल बन 

तू शक्ति का अवतार है

तुझसे ही ये संसार है

तू खुद में ही है सम्पूर्ण

बन अब खुद में ही ढाल तू

जो तेरी और बढ़े तो

हुंकार भर के चंडिका सी तू

उन पर टूटकर प्रहार कर

कोई क्या बनाएगा भाग्य तेरा

तू खुद ही बन भाग्य विधाता

अपना तू खुद उद्धार कर ।। ✍️"खाखी"

    

          


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