चित्र
चित्र
एक चित्र सा बना लिया है
उसने मेरे किरदार का,
अपने विचारों से,
अपने जहन में
मैं अब फिर से उसके पास जाकर
उसकी चित्रकारी में नुक्स नहीं निकालना चाहती।।
जो मैं हूँ नहीं,
मेरी उस छवि को झलका दिया है उसने,
बेवफा कहकर मेरी भावनाओं का गला दबा दिया है उसने।।
ये कैसी एक नई उलझन में फंसा दिया है मुझे,
मैं वो हूँ जो असल में हूँ !!
या मैं वो हूँ !! जिसका चित्र बना दिया है उसने।।