STORYMIRROR

Bhavna Bhavna

Romance

3  

Bhavna Bhavna

Romance

चित्र

चित्र

1 min
158

एक चित्र सा बना लिया है

उसने मेरे किरदार का,

अपने विचारों से,

अपने जहन में


मैं अब फिर से उसके पास जाकर

उसकी चित्रकारी में नुक्स नहीं निकालना चाहती।।


 जो मैं  हूँ नहीं,

मेरी उस छवि को झलका दिया है उसने,

बेवफा कहकर मेरी भावनाओं का गला दबा दिया है उसने।।


ये कैसी एक नई उलझन में फंसा दिया है मुझे,

मैं वो हूँ जो असल में हूँ !!

या मैं वो हूँ !! जिसका चित्र बना दिया है उसने।। 



Rate this content
Log in

More hindi poem from Bhavna Bhavna

Similar hindi poem from Romance