।। आ जा ।।
।। आ जा ।।
मैं रूठा हूं कबसे
इक बार ही मनाने आ जा
बेशुमार मोहब्बत है तुझसे
तू भी जताने आ जा
दिल में दर्द ही दर्द हैं भरे मेरे
वर्षों के इस दर्द को मिटाने आ जा
माना की तू है किसी और की
मुझे भी किसी और का बनाने आ जा
अब तो आंखें भी सूख गई हैं इंतजार में तेरे
तू आएगी नहीं अब लौट कर
ये एहसास मुझको दिलाने आ जा
जो ज़ख्म दिए थे तूने
वो अब भी गहरे हैं
उन जख्मों पर मरहम लगाने आ जा
मर तो पहले ही गया था
अब तो सिर्फ ख़ाक बची है
अब देर न कर
इसे दफनाने आ जा
मुझसे बिछड़ने पर तो आंसू बहाए नहीं तूने
आ मेरी कब्र पर आंसू बहाने आ जा
मैं रूठा हूं कबसे
इक बार ही मनाने आ जा।।

