STORYMIRROR

Neeraj "NeeR"

Others

4  

Neeraj "NeeR"

Others

कसक

कसक

1 min
259

ना हो कोई गरीब मुझ सा

ना ही जिम्मेदारियों का पहाड़ सा हो

ना ही धूमिल हों मंजिलें उसकी

ना ही ख्वाहिसों का मलाल सा हो।

जब परवाह न हो किसी को उसकी

हर वक्त आसुओं का सैलाब सा हो

बेखबर है जिंदगी से जो

मौत का उसको इंतजार सा हो

बदनाम है जो पूरे शहर में

उसके मन में इक सवाल सा हो

सब तो हैं अपने यहां

पर उनपर कोई अधिकार सा हो

कैसा लगता है वो पल भी

जब अपना कोई अनजान सा हो

ना हो कोई गरीब मुझसा

ना ही जिम्मेदारियों का पहाड़ सा हो।।।


Rate this content
Log in