गुलाबी ठंड
गुलाबी ठंड
इस गुलाबी ठंड में, प्यार का इज़हार कर लो
अपने दिल में ,मेरी मोहब्बत को आबाद कर लो
आज हूँ कल रहूँ या ना रहूँ ,
यही सोच कर मुझसे प्यार कर लो
मुझे इश्क़ है तुमसे ,तुम भी इश्क़ बेहिसाब कर लो
इस गुलाबी ठंड में प्यार का इज़हार कर लो ॥
ख्वाहिश है तुम्हें अपना बनाने की
ये ख्वाहिश नीलाम सर-ए-आम कर लो
मुझे बांहों में भर कर ,अपने गले का हार कर लो
मैं रेत सा बिखर जाऊँ ना कहीं
मुझसे अपनी मोहब्बत का इकरार कर लो
इस गुलाबी ठंड में, प्यार का इज़हार कर लो ॥
तुम्हें मोहब्बत है किसी ग़ैर से
इस बात से इनकार कर लो
खो जाओ मेरी यादों में ,या मुझसे आँखें चार कर लो
मेरे दिल में तुम्हारे सिवा कोई और नहीं
मुझे अपने दिल में शुमार कर लो
मैंने अपना बना लिया है तुम्हें
मुझे अपना बनाकर मुझ पे इख़्तियार कर लो
तुम्हें मोहब्बत है मुझसे बस इतना बता दो
ग़र नहीं तो मेरे टुकड़े हज़ार कर लो
इस गुलाबी ठंड में प्यार का इज़हार कर लो
मुझे इश्क़ है तुमसे तुम भी इश्क़ बेहिसाब कर लो।।

