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Neeraj "NeeR"

Abstract

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Neeraj "NeeR"

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बिखरा हुआ हूं

बिखरा हुआ हूं

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चले हैं लोग मैं रास्ता हुआ हूं

मुद्दत से यहीं ठहरा हुआ हूं

ज़माने ने मुझे जब चोट दी है

मैं जिंदा था नहीं , जिंदा हुआ हूं


मैं पहले से कभी ऐसा नहीं था

मैं तुमको देखकर प्यारा हुआ हूं

मैं कागज सा न फट जाऊं

ऐ लोगों उठाओ ना मुझे,अभी भीगा हुआ हूं 


मेरी तस्वीर अपने साथ लेना

अभी हालात से सहमा हुआ हूं

कभी आओ इधर मुझको समेटो

मैं तिनकों सा कहीं ,बिखरा हुआ हूं


चलो अब पूछना तारों की बातें

अभी मैं आसमां सारा हुआ हूं

मुसलसल बात तेरी याद आई

गया वो वक़्त मैं उलझा हुआ हूं


बुरा कोई नहीं होता जन्म से

मुझे ही देख लो कैसा हुआ हूं

ज़माने ने मुझे जितना कुरेदा

मैं उतना और भी गहरा हुआ हूंl


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