जाने लगा है
जाने लगा है
आहिस्ते से अब तू जाने लगा है,
शायद इस इश्क से घबराने लगा है,
कितनी ही बातें जो कहनी चाहिए थी,
वो अब सारी तू मुझसे छुपाने लगा है।
तेरे बिना मैं तुझसे रोज़ बात कर लेता हूं अब,
मेरे बिना तू मुझे भुलाने लगा है,
वो देख गुलदस्ते में मेरे दिए हुए फूल,
इस गम से हर फूल मुरझाने लगा है।
डरता है तू की ये मोहब्बत है चार दिन की,
अब मोहब्बत को दिनों में गिनवाने लगा है,
तू अपनी हंसी, हाथों की मेहंदी, अपनी खुशबू,
अब सब कुछ समेत कर जाने लगा है।
चार दिनों को मैंने चार दशक की तरह जीना चाहा,
तू तो चार पलों में ही डगमगाने लगा है,
अकेला मैं फिर टुकड़ों में बिखर गया,
मेरा मन उन टुकड़ों से तेरी तस्वीर बनाने लगा है।

