नज़ारे
नज़ारे
कदमों के जब रास्ते बदल गए
देखा तो सारे नज़ारे बदल गए
तन्हा खड़े रहे कश्ती के इंतज़ार में
और समंदर के किनारे बदल गए
मिल पाए न दिल जिनसे हमारे
उन गैरों के सहारे बदल गए
जो थे हमराज अहबाब अपने
इम्तिहान-ए-शाम उनके इशारे बदल गए
रहते थे जो मौज में ख्वाबों के
मिज़ाज वो आज हमारे बदल गए
अक्सर हंस पड़ते हैं नसीब पर अपने
किस्मत के अब सारे तमाशे बदल गए।

