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S N Sharma

Romance

4  

S N Sharma

Romance

तुम मेरे गीत हो

तुम मेरे गीत हो

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तुम मेरी गीत हो गजल हो या रुवाई हो ।

जिंदगी में मेरी बहार बनके चली आई हो।

क्यों आज कल स्वप्न सतरंगी मेरे लगे होने

तुम नजर में इश्क का खुमार लिए आई हो।

गगन छितिज मे मिल रहा है समुंदर के गले।

शाम ने कायनात में महफिल नई सजाई हो

पंख फैलाओ चलो साथ मेरे तुम भी उड़ के

जहां तारों ने इक दुनिया अलग बसाई हो

बड़ी मुश्किल लगे हैं रह गुजर तुम्हारे बिना।

तुम्ही मंजिल तुम्ही महफिल तुम्ही तनहाई हो।



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