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sarika k Aiwale

Romance

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sarika k Aiwale

Romance

राधा

राधा

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वो राहे बेचैन हुई देख मेहबूब को आज

वो गली झूम उठी सुन के उन्हीं की तान

वो चाँद आसमाँ का देख धीमा मुस्काये

वो रात खिली देख के चांदनी को आज 

वो तडप उठी जो दिल बहक है चला

वो तलब जगी जो दिल बुझाने है चला

वो नादिया का किनारा कुछ पुकार रहा

सुन जिसे राधाको कृष्ण मिलने चला 

वो फिर लहर दौड़ चली देख राधेय की

फिर वोही जाप गूंजे है राधे कृष्ण की

वो तडप ,वो प्यार ,वो राग कहाँ आज

वो हो निसार यूँ ही , जो मिट जाये उनपर.

वो जगे हैं हमारे जगाने पे पूरी रात भर

वो चले जहा कहू बीना सोचे एक भी पल

वो ऐतबार, वो दीदारे यार नसीब कहा

वो इश्क हो देख खिल रहा बगबान अब।


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