आख़िरी मुलाक़ात
आख़िरी मुलाक़ात
काश की कोई चमत्कार होता
पल वही रुक सा जाता।
लम्हे हम जी भर जी तो लेते
एक दूसरे को जी भर देख तो लेते।
हर पल धड़कन बढ़ता जाता
दूर होने का मंज़र पास जो आता।
ख़ुद से ही समहलना था
ख़ुद में ही बिखरना था।
इस मोहब्बतें दास्ताँ में,
ख़ुद से ही बिछड़ना था।
आख़री मुलाक़ात का दर्द,
पहली मुलाक़ात के, प्यार से भी ज्यादा था।